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बवासीर पाइल्स फ़िस्सर व फिस्टुला भगन्दर का 100% आयुर्वेदिक इलाज

DESCRIPTION

दवा लेने का तरीका: 2 कैप्सूल सुबह और 2 कैप्सूल रात में खाली पेट गुनगुने पानी से लें, या फिजिशियन के निर्देशानुसार क्रीम को सुबह नहाने के बाद लगाएं और रात को सोने के पहले , या फिजिशियन के निर्देशानुसार सिरप को 1 चम्मच दिन में 2 बार ले खाने के बाद , या फिजिशियन के निर्देशानुसार

बवासीर, पाइल्स  एक भयानक रोग है। बवासीर 2 प्रकार की होती है। आम भाषा में इसको खूनी और बादी बवासीर के नाम से जाना जाता है।

  1. खूनी बवासीर : खूनी बवासीर में किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होती है केवल खून आता है। पहले शौच में लगके, फिर टपक के, फिर पिचकारी की तरह से सिर्फ खून आने लगता है। इसके अन्दर मस्सा होता है। जो कि अन्दर की तरफ होता है फिर बाद में बाहर आने लगता है। शौच के बाद अपने से अन्दर चला जाता है। पुराना होने पर बाहर आने पर हाथ से दबाने पर ही अन्दर जाता है। आखिरी स्टेज में हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाता है।
  2. बादी बवासीर : बादी बवासीर, गुदा के आस-पास की नसों में सूजन आने की स्थिति है. इसे अंग्रेज़ी में 'Grade 3 or Grade 4 hemorrhoids' कहते हैं. बादी बवासीर में गुदा के बाहर मस्से बन जाते हैं. इसमें दर्द, खुजली, और कभी-कभी खून आने की समस्या होती है. 

बादी बवासीर के लक्षण:
मल त्यागने के समय दर्द होना
मल त्यागने के बाद चमकीला लाल रक्त दिखना
गुदा के आस-पास का क्षेत्र लाल, दर्दनाक, और खुजली वाला होना
मल त्यागने के बाद ऐसा महसूस होना कि आंतें अभी भी भरी हुई है

FISSURE - फ़िशर एक चिकित्सा स्थिति है जिसमें गुदा की त्वचा में दरारें पड़ जाती हैं. इसे गुदा विदर भी कहा जाता है. फ़िशर में गुदा के अंदर और आस-पास की त्वचा में छोटे-छोटे कट या दरारें बन जाती हैं. इन दरारों में दर्द होता है और कई बार खून भी बहता है.

    फ़िशर के लक्षण: 
  • मल त्याग के दौरान दर्द होना
  • दर्द कई घंटों तक बना रहना
  • मल त्याग के समय खून आना
  • गुदा के आस-पास स्किन टैग होना
  • बैठने में कठिनाई
  • गुदा नलिका में लगातार रुकावट महसूस होना

FISTULA (भगन्दर ) - यह एक रोग है। गुदा द्वार पर एक प्रकार की फोड़ा से पैदा होकर यह गुदा द्वार के अन्‍दर तथा बाहर नली के रूप में घाव पैदा करता है। English मे इसे Fistula कहते हैं। यह फोड़ा कुछ दिनों में फूट जाता है और उसमें से मवाद तथा दूषित रक्त निकलने लगता है। यह फोड़ा कभी-कभी बहुत चौड़ा तथा गहरा होता है। इस फोड़े के कारण रोगी व्यक्ति को गुदाद्वार के पास बहुत तेज दर्द होता है।
    FISTULA के लक्षण: 
  • गुदा में बारबार फोड़े होना
  • गुदा के आसपास दर्द और सूजन
  • मल करने में दर्द
  • रक्तस्त्राव
  • गुदा के पास एक छेद से बदबूदार और खून वाली पस निकलना (पस निकलने के बाद दर्द कम हो सकता है)
  • बारबार पस निकलने के कारण गुदा के आसपास की त्वचा में जलन
  • बुखार, ठण्ड लगना और थकान महसूस होना
  • कब्ज
  • सूजन
हमारी दवा कैसे काम करती है?
सभी आयुर्वेदिक गुणों के कारण हमारी दवा बादि बवासीर , खुनी बवासीर , फिशर , फिस्टुला में पूरी तरह से कारगर है हमारी दवा सभी लक्षणों जैसे खून आना , सूजन आना , दर्द , जलन , खुजली सभी पर असरकारी है और ये धीरे धीरे समस्या को जड़ से खत्म कर देती है
पाइल्स THE एन्ड कैप्सूल्स की खासियत
  • बवासीर / पाइल्स, फ़िस्सर व फिस्टुला / भगन्दर का 100% आयुर्वेदिक इलाज
  • भगन्दर या फिस्टुला के केस में 15 दिन में पस या मवाद आना रुक जाता है और 3 महीने में पूरी तरह से ठीक हो जाता है (कुछ केसेस में 6  महीने तक समय लग सकता है)
  • आयुष द्वारा प्रमाणित औषधि
  • खुनी और बादी दोनों प्रकार की बवासीर में आराम
  • दर्द, जलन, सूजन में जल्द आराम
  • कब्ज से आराम
  • 3-4 दिनों में आराम मिलना शुरू
  • 90 दिनों में पूर्ण आराम (कुछ केसेस में 6  महीने तक समय लग सकता है)
  • प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति और मॉडर्न साइंस द्वारा तैयार
  • कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं
हमारी दवा आपके लिए आयुर्वेद का 1 वरदान है , जो की दुर्लभ जड़ी बूटियों से बनी हुई है - हमारी दवा पूरी तरह से आयुर्वेदिक और आयुष से प्रमाणित है जिसका कोई भी साइड इफ़ेक्ट नहीं है। इस दवा से महज़ 3 दिनों में ही आराम मिलना शुरू हो जाता है और ज्यादातर (90% ) केसेस में 3 महीने में पूरी तरह से समस्या ठीक हो जाती है। तीसरी स्टेज तक के पाइल्स (खूनी व बादी), फिसर और भगन्दर (फिस्टुला) के केस पूरी तरह से इस दवा से ठीक होते हैं। 
 क्या खाएं:
  • ज्यादा से ज्यादा सब्जियों का सेवन करें। हरी पत्तेदार सब्जी खाएं। मटर, सभी प्रकार की फलियां, तोरी, टिंडा, लौकी, गाजर, मेथी, मूली, खीरा, ककड़ी, पालक।
  • साबुत अनाज जैसे ब्राउन राइस, ओट्स, होल व्हीट
  • ताज़े फल जैसे सेब, केला, संतरा, अंगूर, पपीता, अनार
  • जिस गेहूं के आटे की रोटी खाते हैं, उसमें सोयाबीन, ज्वार, चने आदि का आटा मिक्स कर लें। इससे आपको ज्यादा फाइबर मिलेगा।
  • दही, छांछ या लस्सी ले सकते हैं।
  • हर्बल चाय
  • नारियल पानी
  • दिन में कम से कम 3 लीटर पानी पियें।
क्या नहीं खाएं
  • किसी भी प्रकार की खट्टी चीजें जैसे की अचार, चटनी, नीबू , इमली आदि का सेवन बिलकुल भी न करें, जब तक आयुर्वेदिक दवा का कोर्स चल रहा है।
  • ज्यादा देर तक खड़ा रहने या लम्बे समय तक बैठने से बचें।
  • फास्ट फूड, जंक फूड और मैदे से बनी खाने की राजमा , छोले , मसूर की दालचीजें।
  • मीट, अंडा और मछली।
  • शराब, सिगरेट और तंबाकू से बचें।
  • सफ़ेद ब्रेड, रिफ़ाइंड शुगर, और ज़्यादा कैफ़ीन वाले पदार्थ
  • ज़्यादा नमक वाला खाना



  • पाइल्स की चार स्टेज:
बवासीर या पाइल्स के चार चरण होते हैं: 
  • ग्रेड 1
  • ग्रेड 2
  • ग्रेड 3
  • ग्रेड 4
ग्रेड 1 की बवासीर - यह शुरुआती स्टेज होती है। इसमें कोई खास लक्षण दिखाई नहीं देते। कई बार मरीज को पता भी नहीं चलता कि उसे पाइल्स हैं। मरीज को कोई खास दर्द महसूस नहीं होता। बस हल्की सी खारिश महसूस होती है और जोर लगाने पर कई बार हल्का खून आ जाता है। इसमें पाइल्स अंदर ही होते हैं।

ग्रेड 2 की बवासीर -दूसरी स्टेज में मल त्याग के वक्त मस्से बाहर की ओर आने लगते हैं, लेकिन हाथ से भीतर करने पर वे अंदर चले जाते हैं। पहली स्टेज की तुलना में इसमें थोड़ा ज्यादा दर्द महसूस होता है और जोर लगाने पर खून भी आने लगता है। 

ग्रेड 3 की बवासीर - यह स्थिति थोड़ी गंभीर हो जाती है क्योंकि इसमें मस्से बाहर की ओर ही रहते हैं। हाथ से भी इन्हें अंदर नहीं किया जा सकता है। इस स्थिति में मरीज को तेज दर्द महसूस होता है और मल त्याग के साथ खून भी ज्यादा आता है

ग्रेड 4 की बवासीर - ग्रेड 3 की बिगड़ी हुई स्थिति होती है। इसमें मस्से बाहर की ओर लटके रहते हैं। जबर्दस्त दर्द और खून आने की शिकायत मरीज को होती है। इंफेक्शन के चांस बने रहते हैं।

लक्षण :
  • गुदा के आस-पास कठोर गांठ जैसी महसूस होना
  • शौच के दौरान जलन के साथ लाल चमकदार खून आना
  • शौच के बाद भी पेट साफ़ न होना
  • शौच के दौरान बहुत दर्द होना
  • गुदा के आस-पास खुजली, लालीपन, और सूजन होना
  • शौच के दौरान म्यूकस आना
  • बार-बार मल त्यागने की इच्छा होना, लेकिन मल न निकलना



    कारण क्या हैं :
- कब्ज पाइल्स और फिसर की सबसे बड़ी वजह होती है। कब्ज होने की वजह से कई बार मल त्याग करते समय जोर लगाना पड़ता है और इसकी वजह से पाइल्स और फिसर की शिकायत हो जाती है।

- अधिक तला एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन करना, शौच ठीक से ना होना, फाइबर युक्त भोजन का सेवन न करना,महिलाओं में प्रसव के दौरान गुदा क्षेत्र पर दबाव पड़ने से बवासीर होने का खतरा रहता है, आलस्य या शारीरिक गतिविधि कम करना,धूम्रपान और शराब का सेवन,अवसाद।
- बवासीर को Piles या Hemorrhoids भी कहा जाता है। पाइल्स और फिसर एक ऐसी बीमारी है, जो बेहद तकलीफदेह होती है। यह एक अनुवांशिक समस्या भी है। यदि परिवार में किसी को यह समस्या रही हो, तो इससे दूसरे व्यक्ति को होने की आशंका रहती है। बहुत पुराना होने पर यह भगन्दर का रूप धारण कर लेता है जिसे फिस्टुला (Fistula) भी कहते हैं। इसमें असहाय जलन एवं पीड़ा होती है।
- ऐसे लोग जिनका काम बहुत ज्यादा देर तक खड़े रहने का होता है, उन्हें पाइल्स और फिसर की समस्या हो सकती है।
- मोटापा इसकी एक और अहम वजह है।
- कई बार प्रेग्नेंसी के दौरान भी पाइल्स और फिसर की समस्या हो सकती है।
- नॉर्मल डिलिवरी के बाद भी पाइल्स और फिसर की समस्या हो सकती है।



इलाज:

अगर पाइल्स / फ़िस्सर / फिस्टुला स्टेज 1, 2 या 3 के हैं तो उन्हें आयुष द्वारा प्रमाणित 100% आयुर्वेदिक दवा पाइल्स THE एन्ड कैप्सूल्स (Piles the end Capsules) द्वारा पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। पाइल्स के बहुत कम मामले ऐसे होते हैं, जिनमें सर्जरी की जरूरत होती है। बाकी पाइल्स दवाओं से ही ठीक हो सकते हैं। साथ ही शुरुआती स्टेज के पाइल्स में एकदम सर्जरी की ओर जाने से बचना चाहिए। इंतजार करें, दवा लें और बचाव के तरीकों पर ज्यादा ध्यान दें। ज्यादातर मामलों में एक से दो महीने तक लगातार इलाज कराने से पाइल्स की समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है। लेकिन कुछ मामलों में 3 से 6 महीने तक का भी समय लग सकता है।

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